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Thursday, September 27, 2012

ठोकर




ठोकर 

राह में आये रोड़े से ठोकर खाकर गिर गए,

किसी ने उफ़ तक न की और हँसते हुए चल दिए |


कोई जमाने से जाकर पूछो तो केवल जरा, 


खुद ठोकर खाकर हंस कर कर दिखाओ तो जरा |.

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4 comments:

  1. बड़ा आसान है किसी और पर हंसना...
    अपने गम में मुस्कुराए वो आदमी है कहाँ ???

    बेहतरीन
    अनु

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  2. अनु जी ....
    सही कहा आपने...! धन्यवाद...

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  3. Replies
    1. धन्यवाद प्रबोध जी....

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