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Tuesday, May 1, 2012

शीत ऋतू


रोहतांग दर्रा , मनाली........

शीत ऋतू

मौसम ने ली अंगड़ाई,
देखो जाड़े की ऋतु हैं आई |
सर्दी का अजब हैं खेल ,
चारों ओर बर्फ का ढेर |
प्रकृति ने भी बदला रंग,

 
हरा छोड़ पहना रंग सफ़ेद |
मौसम को यह सुन्दर इशारा,
कितना प्यारा लगता हैं यह नजारा |
मौसम ने ली अंगड़ाई,
देखो जाड़े की ऋतु हैं आई |

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7 comments:

  1. आपकी रचना पढ़कर सर्दी की कल्पना होने लगी है!
    आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उऊपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!
    --
    ओह! यहाँ तो शब्दपुष्टीकरण भी करना होगा। बस यही काम मेरे लिए कष्टदायी होता है।
    आप शब्दपुष्टीकरण हटा दीजिए न!

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    1. धन्यवाद सर जी....
      मुझे पता नहीं था की यहाँ पर शब्द्पुष्टिकरण लगा हुआ हैं, आपके कहे अनुसार मैंने अब उसके हटा दिया हैं.....इस ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद !

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  2. इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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    1. धनयवाद संजय भास्कर जी.....

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