दिल से निकले वो हैं कविता !
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Friday, October 4, 2013
सिलसिला .....
सिलसिला वफाओ का एक नया ही चलाया मैंने...
सिलसिला वफाओ का एक नया ही चलाया मैंने ,
न उसे याद ही रखा न ही भुलाया मैंने,
हंसी उतार कर चेहरे से फ़ेंक दी लेकिन ,
फिकर-ए-यार मैं कोई अश्क नहीं बहाया मैंने ,
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Saturday, June 1, 2013
दोस्ती.....
जिंदगी जीना इसी का नाम हैं
हँसते हुए बीते वोही एक सुहानी शाम हैं,
यही तो हैं हसीन जिंदगी ,
और दोस्ती इसी का नाम है |
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